बेरोजगारी (एक कहानी जो है सुनानी के बेरोजगारी है कितनी बड़ी बीमारी )
ये कहानी केवल एक कल्पना मात्र है इसका किसी व्यक्ति, स्थान से कोई सम्बन्ध मात्र भी नहीं है इस कहानी के दूवारा लेखक ने अपने विचारो को आप सभी तक पंहुचाने और बेरोजगारी जेसी कड़ी समस्या का एहसास दिलाने मात्र का प्रयास किया है
काहनी के किरदार इस प्रकार है :-
१. विहान ( मुख्य किरदार )
२. हरमन ( विहान का बड़ा ममेरे भाई )
३ . रघु ( नाम का दोस्त )
४ . मयंक ( नाम का दोस्त )
५ . नीरज ( विहान के भाई का दोस्त )
ये कहानी विहान की है जो की बेरोजगारी का शिकार हुआ उसके दो दोस्त भी थे रघु और मयंक जो की सिर्फ नाम के दोस्त थे और उससे बहुत चिड़ते थे . विहान बचपन से ही कुछ ऐसा चाहता था जिस से वो फेमस होने और दूसरो के लिए कुछ करने को सोचता रहेता था . वो चाहता था के अगर उसके वजह से कुछ परिवारों की रोजी रोटी चल सके तो कितना अच्छा होगा .वो बचपन से ही बड़े भावुक किस्म का था , उसका ये सोचने की वजह भी ये थी की उसके पिता का काम काफी कम था जो उसके लिए काफी बड़ी मुश्किल थी उसके लिए आपनी पढाई करना बि बहुत मुश्किल सा लग रहा था पर उसके पिता ने केसे ना केसे करके उसकी पढाई पूरी करवादी .
लेकिन उसकी ज़िन्दगी के सफ़र का इमतिहाम तो अब शुरू हुआ जब उनसे अपनी पढाई पूरी कर नौकरी कि तलाश करने को सोचा ...
तभी उसके भाई हरमन जोके उसके ममेरे भाई है और एक कंपनी में काफी अच्छी पोस्ट पर है उन्होंने विहान को आपनी कम्पनी में जॉब ऑफर की पर विहान चाहता था की वो अपनी महेनत से जॉब हासिल करे इसी लिए उसने अपने भाई के दूवारा दिए गए जॉब ऑफर को ठुकरा दिया और अपने बूते पर नौकरी हासिल करने को जुट गया |
अब वो कई कंपनी में इंटरव्यू दी चूका था पर हर जगह उसने देखा की लोग सिर्फ अपने लोगो को ही प्रायोरिटी देते है जिसे देख वो अब इतना हत्ताश हो चूका था की मानो सब कुछ उसे बुरा लगने लगा वो हमेशा अकेले बेठाता और किसी से भी बात नहीं करता मनो उसका नेचर पूरी तरह से बदल गया हो , पर एक दिन उसे एक कंपनी से इंटरव्यू के लिए कॉल आया पर उसके वहा पहुचने से पहेले ही जॉब किसी और को मिल चुकी थी , वो वहा से निकल ही रहा था की तभी उसने अपने दोनों दोस्तों को वहा पाया और मिलने के बाद पता चला के उनके पापा के वहा काफी अच्छी पहेचान है और बिना इंटरव्यू के ही जॉब मिल गई . तभी उसके दोस्त रघु ने कहा के अगर तुम चाहो तो में तुम्हारे लिए बात कतर सकता हु ................ऐसा उन्होंने विहान को निचा दिखाने के लिए किया . विहान ने सोचा के बेरोजगार होना किसी अभिशाप से कम नहीं है , पर उसने इसका भी बुरा नहीं माना , मगर अब वो बहुत टूट चूका था उसके मन में अब आत्म हत्या जेसे गलत विचार मन में आ रहे थे और उसने ऐसा करने की कोशिश भी की पर वक़्त पर उसके ममेरे भाई हरमन वहा आया और उसे ऐसा करते देख उसको रोका हरमन विहान के लिए काफी चिंतित हुआ और उसे कुछ दिन घुमाने के लिए ले गया , एक दिन हरमन विहान को अपने एक दोस्त नीरज के पास ले गया जिसका दवाई का बिज़नस था और काफी अच्छा चल रहा था और तभी विहान के भाई हरमन ने उसे कहा के क्यों न तुम भी एक छोटा सा बिज़नस करने का कोशिश करो और तुम नीरज से भी इसके बारे में जानकारी ले सकते हो तब विहान का जवाब कुछ ये था के भैया मेरे पास इतने पैसे नहीं जो में इसके बारे में सोच सकू और बिज़नस स्टार्ट कर सकू उसके भाई ने कहा के तुम मुझसे पैसे ले सकते हो जब चाहो तब लोटा देना स्टार्ट तू करो वहा से विहान को एक किरण मिली ..... विहान ने दिन दुगनी रत चौगुनी मेहनत करी जिससे उसे रोजगार करने की ही नहीं अब विहान दुसरो को भी जॉब देसकता था उसने अपनी एक छोटी कंपनी रजिस्टर करवाई और कम शुरू कर दिया था जेसा की हम सभी जानते है की म्हणत रंग लती है ऐसा ही हुआ आपने प्रोडक्ट्स की मर्केत्तिंग खुद करते करते धीरे धीरे उसका बिज़नस इतना अच्छा चलने लगा लगा के उसके प्रोडक्ट्स पुरे इंडिया में मशहूर हो गए और ये ही नहीं जेसा की वो बाच्पन से चाहता था लोगो को रोजगार देना उसने कई लोगो को अपनी कंपनी में जोड़ा रोजगार दिया जो की अपने आप में काफी अच्छी मिसाल है ,
"पहाड़ तो ना जाने कितने
राह में आते है यारो
पर पहाड़ को चिर कर
आगे निकल जाए जो
वही तो मुकद्दर के
सिकंदर कहेलाते है यारो "
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की बेरोजगारी एक अभिशाप है किन्तु अगर आप में हिमत हैतो आप कुछ भी कर सकते है चाहे लाख मुश्किलें क्यों ना आय .......आपका विश्वास और आपकी मेहनत और कुछ करने के प्रति सच्ची निष्ठा अगर है तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता जिसका उदहारण ये कहानी है के किस तरहा विहान ने धीरे धीरे सैयम रख कर सभी मुश्किलो को पार कर अपने आप को सफल बनाया......
लेखक विनय कुमार
vinay kumar
छात्र पत्रकारिता एवं जनसंचार
श्री राम ग्रुप ऑफ़ कॉलेज
मुज़फ्फरनगर , उत्तरप्रदेश , इंडिया
संपर्क सूत्र व्हाट्सअप्प +918899973574
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