पत्रकारिता का बदलता रूप

पत्रकारिता का बदलता रूप 

जी हा आज में आप सभी से इसी विषय में चिंतन करना चाहुगा ,  ये विषय काफी दिनों से मन में चल रहे उधेड़ बुन की वजह बन चूका है जिसे आखिर मुझे अपने मन रूपी जाल से मुक्त करते हुए व्यक्त करना ही पड़ा......असल बात ये है कि पत्रकारिता का मूल उदेश्य ही ना जाने कही खो सा गया है जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे समाज पर भी पड़ रहा है , जेसा की हम सभी जानते है की पत्रकारिता एक ऐसा पेशा था जो की समाज में हो रही विपरीत और गलत गति विधि को सुधरने में काफी सार्थक हुआ करता था जिसकी बदोलत पत्रकारिता को लोकतंत्र का चोथा  इस्ताभ कहा गया है किन्तु आज की परिस्तिथि कुछ और ही नजर आती है 
पत्रकारिता के तो जेसे माइने ही बदल गए हो और ऐसा  हो भी क्यों ना क्युकी " रंग बदलती दुनीया में इंसान की नियत ठीक नहीं " जी हा कुछ लोग लालच में आजाते है और कुछ लोगो की आवाज को दबा दिया जाता है . कई घोटाले शायद आज भी कही रुपियो के बोझ के तले तबे पड़े हो  और कुछ जो सामने आते भी तो उन लोगो  को पहेले ही मौत के हवाले कर दिया जाता है. तो क्या इन सभी बातो से प्रजातंत्र केवल नाम का प्रजातंत्र नहीं लगता , क्या ये लोकतंत्र , राजतंत्र  नहीं लगता मगर हम सभी लाचार है विवश है बेबस है ये देखने को की जिस देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था वो आज इस मुकाम पर है . आये दिन कुछ अखबारों और न्यूज़ चैनलो को लगातार किसी एक पार्टी की विचारधारा पेश करते हुए देखना बड़ा अजीब लगता है सभी एंकर मनो खरीदे हुए हो ये सब मन को झिंझोड़ के रख देता है , और कुछ  एंकर जो शायद वहा खड़े हुए ऐसा बोलना ना चाहते हुए भी बोलते है क्युकी अगर काम  करना है तो आपनी विचार धारा को भूलते हुए चैनल की विचार धारा को अपनाना पड़ता है आखिर काम  जो करना है ,TRP (TELEVISION RATING POINTS ) ये भी अब बड़ा मसला है हर चैनल अपने आप को सर्वोपरि करने ही होड़ में लगे हुए  है और कुछ भी गलत दिखाने बताने से भी नहीं चुकते चैनल्स पर हो रही डिबेट भी प्रीप्लेन होती है   और यही कारण है की जनता का विश्वास भी पत्रकारिता से उठता जा रहा है  
तो क्या ये माना जाए की पत्रकारिता का जो मुख्य उदेश्य है वो शीण हो गया है जिसे पेशे में समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की 
 क्षमता    थी वो आज नकारात्मक है अंत में यही कहूँगा की हमें इस पर गहेन चिंतन की आवश्यकता है 


आशा है आप सभी लोग भी इस पर जरुर चिंतन करेंगे और आपना विचार कमेंट दूवारा साझा करेंगे 
धन्यवाद 
 लेखक 
विनय कुमार 
vinay kumar 








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