एससी /एसटी एक्ट में हुए संशोधन से भड़के दलित संगठनो ने अपनाया हिंसा का रास्ता हुआ पूरा देश बंद

2 अप्रैल को भारत बंद के नाम पर पुरे देश में बवाल मचा हुआ था बिहार से लेकर झारखण्ड तक , मध्य प्रदेश से लेकर राजिस्थान तक और पंजाब से लेकर यूपी तक पुरे भारत से हर जगह हिंसा आगजनी हंगामा झड़प तोड़फोड़ की घटनाए सामने आ रही थी जो की बहुत ही निंदनीय हैं

उत्तरप्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के हालात भी काफी गंभीर रहे जहां पर जिले के नई मंडी इलाके में भी काफी हडकंप मचा हुआ था वहा के थांने में तोड़फोड़ की खबर सामने आई है और तो और यात्रियों से भरी प्रदेश परिवेहन बस में भी भड़के आन्दोलनकारियों दूवारा आग लगा दी गई थी जिससे बचने के लिए यात्रियों को भाग कर अपनी जाने बचानी पड़ी .इतना ही नहीं भडके हिंसक आंदोलनकारियो ने पूरा का पूरा रेलवे ट्रैक जैम कर दिया था जिससे रेलवे की आवा जाही ठप पड़ गई और लोगो के यातायात पर भी काफी प्रभाव पड़ा | शुरुवात में सवेरे जिले में प्रदर्शन कर आन्दोलनं किया जा रहा था किन्तु तभी कुछ देर बाद अचानक आन्दोलनकारियों की  भीड़ हिंसक हो गई और जिले की सभी दुकाने बंद करवादी गई और उसके बाद का वाक्य काफी भयावय था हिंसक आन्दोलनकरियो ने पुरे जिले की व्यवस्था को भंग कर दिया ,लोगो की गाडियों को तोड़ डाला  और बाजार में दुकानों के बहार पथराव किया गया.

जानसठ पुल से , हिंसक आंदोलनकारियो को रोकने के लिए पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा ,पुलिस ने आसुत गैस के गोलों से आंदोलनकारियो को रोकने की कोशिश की और हवाई फायरिंग के दूवारा हिंसक भीड़ को पीछे हटाया  


आइये रूबरू कराते है आपको मुज़फ्फरनगर के हालात से 







रोड वेज़ बस को भी जला दिया गया 






मुज़फ्फरनगर के सदर बाजार में उप्दार्वियो ने गाड़ी को तोड़ डाला

ये है मुज़फ्फरनगर के न्यू मंडी थाने की तस्वीर जहा पर कई गाडियों को फुक डाला 

एक युवक की मोटर साइकिल को पूरा तोड़ दिया गया 



दलित संगठनों दूवारा देश भर में बुलाए गए भारत बंद का पुरे देश में व्यापक प्रभाव देखने को मिला .यह भारत बंद का ऐलान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है जिसमे एससी और एसटी एक्ट में तुरंत ग्रिफ्तरी नहीं करने का आदेश दिया  गया था 
असल में आमतोर पर इसतरह के केस में अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी किन्तु कोर्ट ने इस तरह के मामलो में अग्रिम जमानत को मंजूरी देने का आदेश दे दिया है , मतलब की पुलिस को अब आरोपी की गिरफ्तारी करने से पहेले मामले की पूर्ण रूप से जाँच करनी होगी .
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों का कहेना है की इस फैसले से दलित की आवाज दबाई जाएगी ,और यही वजह हिया दलित संगठनो के आक्रोश की , वही आज सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट में दिय अपने फैसले में बदलाव से साफ इंकार कर दिया है शीर्ष कोर्ट ने कहा है की 
उसने एससी- एसटीएक्ट के प्रावधानों को छुआ भी नहीं है, सिर्फ तुरंत गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों पर लगाम लगायी है। इस मामले में केस दर्ज करने, मुआवजा देने के प्रावधान बिल्कुल बेअसर हैं। समीक्षा याचिका पर दस दिन बाद खुले कोर्ट में आगे सुनवाई होगी। कोर्ट ने दो दिनों के  अंदर सभी पार्टियों से इस मसले पर जवाब मांगा है।  



लेखक की कलम से 

आरक्षण का प्रावधान केवल दलित तबके को समाज में आगे लाने के लिए और उन पर किये जा रहे आत्याचार को रोकने के लिए किया गया था इसी लिए ये एससी/एसटी एक्ट को लाया गया , शायद अब हमें जरुरत है की हम ये आरक्षण नामक भीख जो हमें सरकार दूवारा दी जाती है उसे त्याग दे क्यों की अब समाज में वो भेद भाव काफी हद तक ख़त्म हो चुका है और एक नये एक्ट की मांग हो जिसमे सरकारी मदद परिवार की आर्थिक स्तिथि को ध्यान में रखते हुए हो और काबिलयत के अनुसार हो ,क्युकी मेहनत करने वालो को उनका हक़ मिलना ही चाहिय और उप्दार्वियो को सजा 
मेरे ये विचार किसी भी राजनेतिक पार्टी या संगठन की विचारधारा से प्रेरित नहीं है ये सिर्फ मेरे अपने विचार है                                                             




                                                          लेखक 

                                                                                                         विनय कुमार तीज्वाल
                                                                                                                मीडिया छात्र
                                                                                                       श्री राम ग्रुप ऑफ़ कॉलेज
                                                                                                                मुज़फ्फरनगर
                                                                                                                   उत्तर प्रदेश 





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