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Showing posts from March, 2018

बेरोजगारी (एक कहानी जो है सुनानी के बेरोजगारी है कितनी बड़ी बीमारी )

ये कहानी केवल एक कल्पना मात्र है इसका किसी व्यक्ति, स्थान से कोई सम्बन्ध मात्र भी नहीं है इस कहानी के दूवारा लेखक ने अपने  विचारो को आप सभी तक पंहुचाने और बेरोजगारी जेसी कड़ी  समस्या का एहसास दिलाने मात्र का प्रयास किया है  काहनी  के किरदार इस प्रकार है :- १. विहान ( मुख्य किरदार ) २. हरमन ( विहान का बड़ा ममेरे भाई ) ३ . रघु ( नाम का दोस्त ) ४ . मयंक ( नाम का दोस्त ) ५ . नीरज ( विहान के भाई का दोस्त ) ये कहानी विहान की है जो की बेरोजगारी का शिकार हुआ उसके दो दोस्त भी थे रघु और मयंक जो की सिर्फ नाम के दोस्त थे और उससे बहुत चिड़ते थे . विहान बचपन से ही कुछ ऐसा  चाहता था जिस से वो फेमस होने और दूसरो के लिए कुछ करने को  सोचता रहेता था . वो चाहता था के अगर उसके वजह से कुछ परिवारों की रोजी रोटी चल सके तो कितना अच्छा होगा  .वो बचपन से ही बड़े भावुक किस्म का था , उसका ये सोचने की वजह भी ये थी की उसके पिता का  काम काफी कम था जो उसके लिए काफी बड़ी मुश्किल थी उसके लिए आपनी पढाई करना बि बहुत मुश्किल सा लग रहा था पर उसके पिता  ने क...

मुलाकात

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आज CNBC Awaaz   की न्यूज़ एंकर Deepali Rana मैडम जी से मिलने का अवसर मेरे महाविद्यालय Shri Ram Group of College दूवारा  प्राप्त हुआ और उनसे न्यूज़ एंकरिंग के विषय में काफी जानने को भी मिला ,वो एक बिज़नस एंकर है जो उनकी ...

अल्फाज़ ए महोब्बत

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आप सभी के लिए पेश है अल्फाज़ दिल के..... vinay kumar teejwal द्वारा  

पत्रकारिता का बदलता रूप

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पत्रकारिता का बदलता रूप  जी हा आज में आप सभी से इसी विषय में चिंतन करना चाहुगा ,  ये विषय काफी दिनों से मन में चल रहे उधेड़ बुन की वजह बन चूका है जिसे आखिर मुझे अपने मन रूपी जाल से मुक्त करते हुए व्यक्त करना ही पड़ा......असल बात ये है कि पत्रकारिता का मूल उदेश्य ही ना जाने कही खो सा गया है जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे समाज पर भी पड़ रहा है , जेसा की हम सभी जानते है की पत्रकारिता एक ऐसा पेशा था जो की समाज में हो रही विपरीत और गलत गति विधि को सुधरने में काफी सार्थक हुआ करता था जिसकी बदोलत पत्रकारिता को लोकतंत्र का चोथा  इस्ताभ कहा गया है किन्तु आज की परिस्तिथि कुछ और ही नजर आती है  पत्रकारिता के तो जेसे माइने ही बदल गए हो और ऐसा  हो भी क्यों ना क्युकी " रंग बदलती दुनीया में इंसान की नियत ठीक नहीं " जी हा कुछ लोग लालच में आजाते है और कुछ लोगो की आवाज को दबा दिया जाता है . कई घोटाले शायद आज भी कही रुपियो के बोझ के तले तबे पड़े हो  और कुछ जो सामने आते भी तो उन लोगो  को पहेले ही मौत के हवाले कर दिया जाता है. तो क्या इन सभी बातो से प्रजातंत्र केवल नाम क...

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