nature the infinity


भूल गए जिसको सब लोग ,आज याद सबको दिलाना है टूटती हुए उसकी सांसो को फिर से मजबूत बनाना है ,डूबती हुयी उसकी कश्ती को किनारे तक पहूँचाना है , संभाला है जिसने सब को अब हमको उसने बचाना है , गोद में जिसके रहेते हम सब है उसको अब हमने सहेलाना है ,तकनीक में खोयी इस दुनिया को तकनीक से बताना है
जिसकी रहेमत से साँस लेता है सब अब उसको ही बचाना है अब उसको ही बचाना है !
सोंदारिये  था जिसका आन्मोल आज आपने आस्तित्व को बचाने में परेशान  है ,वो हैरान है वो परेशान है , बनाया जिसने सब को आज वो हमसे हैरान है वो हमसे परेशान है ,सिसक सिसक कर आहे भारती है वो आत्याचार से वो हमारे हरान है वो परेशान है, मुझे तो बस अपने इस सन्देश से इस दुनिया को जागना है इस दुनिया को बताना है कि आस्तित्व तुम्हारा उस प्रकर्ति की ही देंन है अब तुम्हे उसका अस्तित्व बचाना है ,उसका सोंदारिये उसको वापिस दिलाना है
लेखक
विनय कुमार
छात्र(पत्रकारिता एवं जनसंचार)

प्रकर्ति को बचाना है !!! प्रकर्ति को बचाना है

प्रकर्ति को बचाना है !!! प्रकर्ति को बचाना है

प्रकर्ति को बचाना है !!! प्रकर्ति को बचाना है





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