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नारी ( जीवन आधार ) लेखक vinay kumar

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क्या रेहम है उस ईश्वर का, नारी जो तुमको है बनाया,  हर रिश्ते को तुमने बखूबी से निभाया. कभी माँ की ममता मे कभी बेहन के प्यार मे तो कभी बीवी बनकर संभाला हमारे पूरे परिवार ने. पर फिर भी, कुछ हवानो ने तुझे तार-तार कर डाला है. तेरी सुंदरता, तेरी ममता, तेरे प्यार का गला घोट डाला है. पर फिर भी, हर रिश्ते को तुमने बखूबी से निभाया है. ओ नारी तूने ही तो मेरा घर संसार बसाया है... आओ बतलादु तुम्हें भी सच्चाई की क्या हश्रर् हमने नारी का कर डाला है. " याद तो होगी ही सबको वो काली अंधेरी रात, जब दिल्ली मे एक मासूम का हो रहा था बलात्कार. एक नहीं 6 हवानो मे घिरी थी वो बेचारी,  थी वो एक अबला नारी. . वो रोई भी होगी, बिलख़ाई भी होगी, उन कुकर्मीयो के गलत कर्मो से झटपटाई भी होगी. गुहार भी तो उनसे रेहम की लगाई ही होगी,  मगर उन हवानो को जरा भी दया ना आई,  एक ना सुनी उस बेचारी की,  और नोच नोच इज्जत उसकी खाई. . अपनी वासना को पूरी कर छोड़ गए उसे वीराने मे, वो तड़पती रही दर्दो  मे,  पर रहागिरो को भी जरा शरम ना आई,  बड़ी मुश्किल से क...

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